लेखनी प्रतियोगिता -26-Mar-2022
'आखरी शाम'
ऐ जिन्दगी !
अब लौट जाना चाहता हूँ
इस कशमकश से
सुकून की छाँव में
ताकि कुछ पल बीता सकूँ
अपने आशियाने में
रिश्तों की छाँव तले
ऐ जिन्दगी !
बह जाना चाहता हूँ
नदी के संग सागर में
जहाँ से आगे मुझे दौड़ना नहीं
बस मिट जाना है
सागर के पानी में मिलकर
ऐ जिन्दगी !
अब थक चूका हूँ
जिन्दगी के कर्ज चुकाते चुकाते
खालीपन को भरने की
बहुत कोशिशें कर चुका
हार गया हूँ अब
दर्द को छिपाते छिपाते
ऐ जिन्दगी !
अब आराम ढूँढ़ता हूँ
इस भाग दौड़ से
बहुत भाग लिया जिन्दगी में
जरुरतें पूरी करने को
अब चैन से बैठा
जीवन की संध्या में
चुपचाप मौन हो जाना चाहता हूँ
ऐ जिन्दगी !
अब माँ के आँचल में
फिर से छिप जाना चाहता हूँ
पैसे बहुत कमा लिये
अब कुछ पल
रिश्तें निभाना चाहता हूँ
ऐ जिन्दगी !
तुझ से कोई शिकायत नहीं
जैसे थी मैं गुजरा चुका
अब शाम ढले
कुछ गम भूलाकर
बस जिन्दगी के उजालों से
कुछ सपनें चुनकर
अन्तिम रात बिताना चाहता हूँ
ऐ जिन्दगी !
अब लौट जाना चाहता हूँ.......।
Shrishti pandey
28-Mar-2022 07:52 AM
Very nice
Reply
Punam verma
27-Mar-2022 09:15 AM
Nice
Reply
Anil Kumar
28-Mar-2022 06:54 AM
Thanks
Reply
Abhinav ji
26-Mar-2022 08:12 PM
Nice
Reply
Anil Kumar
28-Mar-2022 06:54 AM
Thanks
Reply