Anil Kumar

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लेखनी प्रतियोगिता -26-Mar-2022

'आखरी शाम'

जिन्दगी !

अब लौट जाना चाहता हूँ

इस कशमकश से

सुकून की छाँव में

ताकि कुछ पल बीता सकूँ

अपने आशियाने में

रिश्तों की छाँव तले

जिन्दगी !

बह जाना चाहता हूँ

नदी के संग सागर में

जहाँ से आगे मुझे दौड़ना नहीं

बस मिट जाना है

सागर के पानी में मिलकर

ऐ जिन्दगी !

अब थक चूका हूँ

जिन्दगी के कर्ज चुकाते चुकाते

खालीपन को भरने की

बहुत कोशिशें कर चुका

हार गया हूँ अब

दर्द को छिपाते छिपाते

जिन्दगी !

अब आराम ढूँढ़ता हूँ

इस भाग दौड़ से

बहुत भाग लिया जिन्दगी में

जरुरतें पूरी करने को

अब चैन से बैठा

जीवन की संध्या में

चुपचाप मौन हो जाना चाहता हूँ

जिन्दगी !

अब माँ के आँचल में

फिर से छिप जाना चाहता हूँ

पैसे बहुत कमा लिये

अब कुछ पल

रिश्तें निभाना चाहता हूँ

जिन्दगी !

तुझ से कोई शिकायत नहीं

जैसे थी मैं गुजरा चुका

अब शाम ढले

कुछ गम भूलाकर

बस जिन्दगी के उजालों से

कुछ सपनें चुनकर

अन्तिम रात बिताना चाहता हूँ

ऐ जिन्दगी !

अब लौट जाना चाहता हूँ.......

 

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17 Comments

Shrishti pandey

28-Mar-2022 07:52 AM

Very nice

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Punam verma

27-Mar-2022 09:15 AM

Nice

Reply

Anil Kumar

28-Mar-2022 06:54 AM

Thanks

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Abhinav ji

26-Mar-2022 08:12 PM

Nice

Reply

Anil Kumar

28-Mar-2022 06:54 AM

Thanks

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